Featured post

Mohabbat..

जिस फूलों की परवरिश हमने  अपनी मोहब्बत से की.. जब वो खुशबु के काबिल हुए तो  औरो के लिए महेकने लगे !

Thursday, 13 July 2017

Wo meri baaho me lipat....

Wo aankhe shabnami, wo hontho par nami...
Mastani baaton ki saaye me unki wo dil kash adayen.....

Wo lage kabhi ek gudiya si mujhko, kabhi pari ban jati hai...
Chhu lun jo unhe labo se, fir wo khud hi khud me samaa jaayen....

Wo nadan bhi, hai thoda pagalpan bhi usme...
kah du jo tu hai khoobsurat husn se jyada, fir wo meri baho me lipat jaayen..........

Tuesday, 11 July 2017

Mujhko Saza Na Dena

Apni Aankhon Me, Kisi Aur Ko Basa Na Dena...
Mere Siwa Kisi Aur Ko, Apni Wafa Na Dena...

Tera Khwaab, Teri Chahat, Teri Aarzoo Hoon Main...
Mujhe Zindagi Mein Kabhi, Bhula Na Dena...

Hadd Se Jyaada, Bas Tumhi Ko Chaha Hai
Pal Bhar Bhi Hum Juda Ho, Aisi Saza Na Dena

Tumse Bichadkar, Jeena Na Aayega Humein...
Hum Mar Jaayenge, Kabhi Daga Na Dena...

Muntazir Hai Meri Aankhein, Tere Deedar Ko...
Raat Bhar Jaga Kar, Inhe Thaka Na Dena...

Jidhar Bhi Dekhoon, Bas Tumko Hi Paaon Main...
Nazar Aa Jaaye Mera Aks, Woh Aaina Na Dena...

Raah-E-Ulfat Mein Chal Padhe Hai Mere Qadam...
Ya Rab Manzil Se Pahele Mujhko Saza Na Dena........

Yu na barbaad kar mujhe - (2 line shayri)

यूँ ना बर्बाद कर मुझे, अब तो बाज़ आ दिल दुखाने से..
मै तो सिर्फ इन्सान हूँ, पत्थर भी टूट जाता है, इतना आजमाने से।

कभी तुम पूछ लेना, कभी हम भी ज़िक्र कर लेगें..
छुपाकर दिल के दर्द को, एक दूसरे की फ़िक्र कर लेंगे।

ये उड़ती ज़ुल्फें और ये बिखरी मुस्कान,
एक अदा से संभलूँ तो दूसरी होश उड़ा देती है।

सब मुझे ही कहते है की भूल जाओ उसे,
कोई उसे क्यूँ नहीं कहेता की वो मेरी हो जाए।

वफ़ा करनी भी सीखो इश्क़ की नगरी में ए दोस्त..
फ़क़त यूँ दिल लगाने से दिलों में घर नही बनते..!!

गुफ्तगू उनसे होती यह किस्मत कहाँ..
ये भी उनका करम है कि वो नज़र तो आये।

इक झलक देख लें तुझको तो चले जाएंगे..
कौन आया है यहां उम्र बिताने के लिए।

निकल गया तलाश में उसकी मैं पागलों की तरह..
जैसे मुझे अब इंतज़ार नहीं #सनम चाहिये।।

दुआ करो की वो सिर्फ हमारे ही रहे,
क्यूंकि हम भी किसी और के होना नहीं चाहते।

हवस ने पक्के मकान, बना लिये हैं जिस्मों में..
और सच्ची मुहब्बत किराये की झोपड़ी में, बीमार पड़ी है आज भी।

Teri aankho ke aaine me

तेरी आंखों के आईने में जब-जब देखी अपनी छाया,
खुद को पूरी क़ायनात से भी ज्यादा खूबसूरत पाया।

मुश्किलों से कह दो की उलझे ना हम से,
हमे हर हालात मैं जीने का हूनर आता है।


हम से पूछो शायरी मागती है कितना लहू,
लोग समझते है धंधा बङे आराम का हैं!!


मेरी हर शायरी मेरे दर्द को करेगी बंया ‘ए गम’
तुम्हारी आँख ना भर जाएँ, कहीं पढ़ते पढ़ते..!!


कुर्सी है, तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है,
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते।


मेरे न हो सको, तो कुछ ऐसा कर दो,
मैं जैसी थी.. मुझे फिर से वैसा कर दो।


वो आज मुझ से कोई बात कहने वाली है,
मैं डर रहा हूँ के ये बात आख़िरी ही न हो।


लोग वाकिफ हे मेरी आदतो से,
रूतबा कम ही सही पर लाजवाब रखता हूँ।


लम्हे फुर्सत के आएं तो, रंजिशें भुला देना दोस्तों,
किसी को नहीं खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है।


सुरमे की तरह पीसा है हमें हालातों ने,
तब जा के चढ़े है लोगों की निगाहों में।

2 Line Shayri

बहुत सा पानी छुपाया है मैंने अपनी पलकों में​,
जिंदगी लम्बी बहुत है, क्या पता कब प्यास लग जाए​।

जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है,
जो साज़ पर बीती है वो दर्द किस दिल को पता।

कौन तोलेगा हीरों में अब तुम्हारे आंसू सेराज़,
वो जो एक दर्द का ताजिर था दुकां छोड़ गया।

तासीर किसी भी दर्द की मीठी नहीं होती ग़ालिब,
वजह यही है की आँसू भी नमकीन होते है।

मेरे टूटने का ज़िम्मेदार मेरा जौहरी ही है,
उसी की ये ज़िद थी की अभी और तराशा जाए।

ये सुर्ख लब, ये रुखसार, और ये मदहोश नज़रें
इतने कम फासलों पर तो मयखाने भी नहीं होते।


अपने रब के फैसले पर, भला शक केसे करूँ,
सजा दे रहा है गर वो, कुछ तो गुनाह रहा होगा मेरा।

शान‬ से ‪जीने‬ का‪‎शौंक है, वो तो हम ‪‎जियेंगे
बस ‪तूँ ‬अपने ‪आप‬ को‪‎ सम्भाल हम तो ‪यूहीँ ‬‪चमकते‬ रहेंगे।

रिश्तो की जमावट आज कुछ इस तरह हो रही है,
बहार से अच्छी सजावट और अन्दर से स्वार्थ की मिलावट हो रही है!!

दिल से बड़ी कोई क़ब्र नहीं है,
रोज़ कोई ना कोई एहसास दफ़न होता है॥

Friday, 7 July 2017

Rahat indori--

बन के इक हादसा बाज़ार में आ जाएगा
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं
कौन, कब, कौन सी  सरकार में आ जाएगा


Rahat indori--

जा के कोई कह दे, शोलों से चिंगारी से
फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से
बादशाहों से भी फेके हुए सिक्के ना लिए
हमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से


Rahat indori--

सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान  रहे
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे


Rahat indori--

रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं


Rahat indori--

इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए
फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए

Rahat indori--

जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे
भुलादे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे


Rahat inodri--

जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं


Rahat indori--

Aankhon mein paani rakho, hothon pe chingaari rakho
Jinda rahna hai to tarkibe bahut saari rakho

Raha ke patthar se badh ke kuch nahi hain manjilen
Raaste aawaz dete hain safar jaari rakho...