जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे
भुलादे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे
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जिस फूलों की परवरिश हमने अपनी मोहब्बत से की.. जब वो खुशबु के काबिल हुए तो औरो के लिए महेकने लगे !
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