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Mohabbat..

जिस फूलों की परवरिश हमने  अपनी मोहब्बत से की.. जब वो खुशबु के काबिल हुए तो  औरो के लिए महेकने लगे !

Tuesday, 11 July 2017

Teri aankho ke aaine me

तेरी आंखों के आईने में जब-जब देखी अपनी छाया,
खुद को पूरी क़ायनात से भी ज्यादा खूबसूरत पाया।

मुश्किलों से कह दो की उलझे ना हम से,
हमे हर हालात मैं जीने का हूनर आता है।


हम से पूछो शायरी मागती है कितना लहू,
लोग समझते है धंधा बङे आराम का हैं!!


मेरी हर शायरी मेरे दर्द को करेगी बंया ‘ए गम’
तुम्हारी आँख ना भर जाएँ, कहीं पढ़ते पढ़ते..!!


कुर्सी है, तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है,
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते।


मेरे न हो सको, तो कुछ ऐसा कर दो,
मैं जैसी थी.. मुझे फिर से वैसा कर दो।


वो आज मुझ से कोई बात कहने वाली है,
मैं डर रहा हूँ के ये बात आख़िरी ही न हो।


लोग वाकिफ हे मेरी आदतो से,
रूतबा कम ही सही पर लाजवाब रखता हूँ।


लम्हे फुर्सत के आएं तो, रंजिशें भुला देना दोस्तों,
किसी को नहीं खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है।


सुरमे की तरह पीसा है हमें हालातों ने,
तब जा के चढ़े है लोगों की निगाहों में।

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